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आगरा। दुनिया की जनसंख्या  में 17 फीसद हिस्सा भारत का है, जबकि किशोरों की जनसंख्या  में 20 फीसद हिस्सेदारी भारत की है। यह भारत के लिए संपदा हैं जो देश को तरक्की की राह पर ले जा सकती है। लेकिन किशोर और युवा जीवनशैली से जुडी बीमारियों से जूझ रहे हैं, उनका शारीरिक और मानसिक विकास नहीं हो रहा है। ऐसे में होटल फोर प्वाइंट में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के  समापन समारोह में रविवार को निर्णय लिया गया कि भारत सरकार एडोलिसेन्ट हेल्थ एकेडमी (एएचए) व इंडियन पीडिएट्रिक एसोसिएशन (आईएपी) के साथ मिलकर किशोरों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए पॉलिसी तैयार करेगी।

समापन समारोह की मुख्य अतिथि डॉ. सुषमा, दुरेजा (डिप्टी कमिश्नर एडोलिसेन्ट हेल्थ भारत सरकार) ने कहा कि भले ही दुनिया के 17  फीसद किशोर भारत में हैं, लेकिन इसमें से तमाम किशोर बीमार हैं। 20 फीसद किशोरों को साइकलॉजिकल समस्याएं से अवश्य गुजरते हैं। 11 फीसद मोटापे के शिकार हैं यहां तक कि 47 फीसद लडकियों की शादी 18 साल की उम्र में हो रही है। यह उम्र युवाओं के आगे बढने की है, वे अपने और देश के लिए काम कर सकते हैं। इससे भी ज्यादा दर्दनाक यह है कि 12 फीसद किशोरों की मौत दुर्घटनाओं में हो रही है।

राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन समारोह में बनी रणनीति

इसके लिए केंद्र सरकार एएचए और एपीए के साथ मिलकर पॉलिसी बना रही है,जिससे किशोरों और युवाओं का शारीरिक और मानसिक विकास सही तरह से हो सके। डॉ. सुषमा, दुरेजा (डिप्टी कमिश्नर एडोलिसेन्ट हेल्थ भारत सरकार) द्वारा ओरेशन प्रस्तुत करने के बाद स्म्रति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया, इसके साथ ही आयोजन समिति के सदस्यों को सम्मानित किया।

राष्ट्रीय कार्यशाला
डॉ. सुषमा, दुरेजा (डिप्टी कमिश्नर एडोलिसेन्ट हेल्थ भारत सरकार) को सम्मानित किया गया

इस दौरान आर्गनाइजिंग कमेटी के चेयरमैन डॉ. एनसी प्रजापति, डॉ. आयोजक सचिव डॉ. आरएन शर्मा व डॉ. सुनील अग्रवाल, डॉ. राजीव कृषक, एसोसिएशन हेल्थ एकेडमी के चेयरपर्सन शाहजी जॉन, सचिव डॉ. राजीव मोहता, कोषाद्यक्ष डॉ. रश्मि गुप्ता डॉ. रश्मि देसाई, डॉ. सीपी बंसल, डॉ. अनुपम सचदेवा, डॉ. राजीव जैन, डॉ. टुटेजा, डॉ. राजीव द्विवेदी, डॉ. दीप्ति, डॉ. योगेश दीक्षित, डॉ. राहुल पैंगोरिया, डॉ. पंकज कुमार, डॉ. राजेश कुमार,डॉ. राजीव जैन, डॉ. मनोज जैन आदि मौजूद थे।

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कान पकड़कर व्यायाम करते हुए डॉक्टर।

युवा नहीं होंगे और बुजुर्ग रह जाएंगे

डॉ किरन वासवानी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 1990 से 2013 तक 25 सालों में कम्युनिटी डिजीज लगभग आधी हो गई हैं, जबकि जीवनशैली से जुडी मधुमेह, दिल के रोग, मोटापा,हाइपरटेंशन जैसे रोग दोगुने हो गए हैं। 5.8 मिलियन भारतीय यानी 25 फीसद भारतीय जीवनशैली से जुडी बीमारियों से पीडित हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे व डब्केल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार  60 फीसद लोगों की जीवनशैली से जुडी बीमारियों से मौत हो रही है। कुछ सालों बाद देश में बुर्जग रह जाएंगे और उन्हें संभालने के लिए युवा नहीं होंगे।

मुम्बई की डॉ.. किरन ने अपने पेपर प्रिजेन्टेशन में कहा कि आज 20 वर्ष के युवा की बाईपास सर्जरी हो रही है। देश के लगभग 11 फीसदी किशोर मोटापे की समस्या के कारण अपनी क्षमता के अनुरूप काम नहीं कर पाते। यह सब लाइफ स्टाइल डिजीज की देन हैं। स्कूल में बच्चों को सजा के तौर पर दौड़ लगवाकर या उट्ठक बैठक लगवाकर शारीरिक व्यायाम की परिभाषा सजा समझा दी जाती है। जागरूकता के तौर पर डॉ. किरन ने अपना पेपर प्रिजेन्ट करने से पहले सबी डॉक्टर को उट्ठक बैठक करवाकर व्यायाम भी कराया।

73 फीसद किशोर एनीमिया के शिकार, पढने में नहीं लगता मन

दिल्ली के डॉ. अनुपम सचदेव ने बताया कि तीन साल की उम्र तक आयरन की कमी नहीं होनी चाहिए, ऐसा होने पर बच्चों के मष्तिक का विकास नहीं होता है। लेकिन भारत में 73फीसद किशोर एनीमिया (खून में आयरन की कमी)  के शिकार हो रहे हैं। इसके पीछे एक बडा कारण अधिकांश लोग शाकाहारी हैं। शाकाहार भोजन से  मात्र 10 फीसद आयरन शरीर में अवशोषित हो पाता है। जबकि मासाहार में यह प्रतिशक 33 है। इसमें भी लोहे के बर्तनों में खाना बनना बंद हो गया है। ऐसे में सब्जियों में नीबू (सिट्रिक एसिड) का इस्तेमाल किया जाए तो यह प्रतिशत बढ़कर 20 फीसद आयरन अवशोषित हो सकता है।

40 पेपर प्रजेंट, किए गए पुरस्क्रत

समारोह में 40 पेपर प्रजेंट किए गए, इसमें 18 पोस्टर प्रजेंट किए। डॉ के शारदा, डॉ अश्वनी आनंदम और डॉ जयश्री को बेस्ट पेपर के लिए पुरस्क्रत किया गया।

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पेपर प्रेजेन्टेशन के बाद डॉक्टरों को सम्मानित किया गया।

प्रथम तीन छात्रों को किया गया सम्मानित

राष्ट्रीय कार्यशाला में छात्रों और अभिभावकों से भी विशेषज्ञों ने संवाद किया था। इसके साथ ही निंबध प्रतियोगिता आयोजित की गई। इसमें सिम्बोजिया स्कूल की 11 वीं की छात्रा दीक्षा चंदवानी प्रथम, मिल्टन पब्लिक स्कूल के 11 वीं के छात्र शांतनु सिंह द्वितीय और सेंट पीटर्स के 12 वीं के छात्र रेवांत गौतम व सेंट कॉनरेडस के 10 वीं की छात्रा रुशाली मेहरोत्रा संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर रहीं।

बच्चों के साथ बुजुर्गों के लिए भी चिकनपॉक्स की वैक्सीन

समापन समारोह में नोवो कंपनी द्वारा चिकनपॉक्स की वैक्सीन नेक्सीकॉक्स लांच की गई। इस वैक्सीन को 15 महीने के बच्चे में पहले डोज और उसके तीन महीने बाद 18 महीने पर दूसरी डोज लगवानी होती है। इससे चिकनपॉक्स नहीं हो सकता है। इस वैक्सीन को युवा और बुजुर्ग भी किसी भी समय लगवा सकते हैं, दो डोज में तीन महीने का अंतर होना चाहिए।

किशोरों को गुस्से को कंट्रोल करना सिखाएं

डॉ हिमा बिंदू सिंह ने अपने रिपोर्ट में बताया कि  दुनिया में पांच मिलियन मौतें हिंसक कारणों से हो रही हैं, इसमें 95 फीसद से ज्यादा मौतें विकासशील देशों में हैं। यानि अब हमें मलेरिया, हैजा, जैसी कम्इयूनिटी डिजीज से लड़ने के बजाय हिंसक प्रवृति का कारण हो रही मौतों से लड़ना होगा। उन्होंने बताया कि हिंसा का मतलब सिर्फ लड़ाई ऋगड़ा ही नहीं,भावनात्मक हिंसा जैसे प्यार में धोका, परीक्षा में असफलता, माता-पिता या शिक्षक की डांट भी कारण हो सकती है।

क्योंकि यह प्राकृतिक नहीं। इन्हें हम अपने प्रयासों से रोक सकते हैं। रोकथाम के लिए 9-10 साल की उम्र के बच्चों को गुस्से के कंट्रोल करना सिखाना चाहिए,इसके लिए परिजनों को आगे आना होगा, उन्हें ऐसे गैम न खेलने दें जिससे उनका व्यवहार उग्र हो, बच्चों को फोन का सही इस्तेमाल करना सिखाएं। उनके साथ खेलें और खेलने, पढने सहित क्रिएटिव काम करने की हॉबी विकसित करें। उन्होंने बताया कि कैट कोला माइंस हार्मोन, जो पुरुषों में अधिक होता है, के बढ़ने से हिंसक प्रवृति बढ़ जाती है। बच्चों में हिंसक प्रवृति और आक्रमता बढ़ने एक मुख्य कारण एकल परिवार और टूटते परिवार भी हैं।

 

 

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