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भारतीय वैज्ञानिक माइक्रोप्लास्टिक को हमेशा के लिए नष्ट करने का के नया रास्ता खोजेंगे।माइक्रोप्लास्टिक हमारे चारों ओर फैला हुआ है, चाहे वह पीने का पानी हो, खाना हो या जिस हवा में हम सांस लेते हैं उसमें भी यह समाहित है।

डीबीटी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि जैविक प्रक्रियाओं के जरिए माइक्रोप्लास्टिक की समस्या से भारत सहित पूरी दुनिया को छुटकारा दिलाया जा सकता है।

प्लास्टिक के छोटे कण इंसान की सेहत के लिए कितने खतरनाक साबित हो सकते हैं, इस पर फिलहाल कई अध्ययन चल रहे हैं लेकिन एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह सूक्ष्म कण फेफड़ों में बने रह सकते हैं और उन्हें डैमेज कर सकते हैं। इससे फेफड़ों की बीमारी वाले लोगों में गंभीरता पैदा हो सकती है।

ऐसा माना जाता है कि यह कण फेफड़ों में लंबे समय तक रह सकते हैं और इससे फेफड़ों में सूजन हो सकती है।विशेषज्ञों ने एक अध्ययन में बताया है कि रोजाना इस्तेमाल होने वाली किन चीजों से खून और फेफड़ों में माइक्रोप्लास्टिक्स भर जाते हैं।

प्लास्टिक की तरह उसके छोटे टुकड़े भी वर्षों तक नष्ट नहीं होते हैं। इस योजना पर काफी समय से काम चल रहा है। हाल ही में इस प्रोजेक्ट का समय भी बढ़ाया गया। इससे अधिक से अधिक शोधार्थियों के साथ अध्ययन आगे बढ़ाया जा सकेगा।

By admin

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