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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान अपने अहम आदेश में कहा कि मर्जी से प्रेम विवाह करने से बाप-बेटी का रिश्ता खत्म नहीं होता है। शादी के बाद भी बेटी के लिए वह पिता ही रहेगा।

हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस एम एस भटटी ने बालिग होने के कारण न्यायालय में उपस्थित युवती को अपनी मर्जी के अनुसार रहने की स्वतंत्रता प्रदान की है।

दरअसल होशंगाबाद निवासी फैसल खान ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि उसकी प्रेमिका जो हिन्दु है, उसे जबरदस्ती नारी निकेतन में रखा गया है।

फरवरी में इटारसी पुलिस ने एसडीएम के समक्ष दोनों को बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया था, जहां से बिना किसी जानकारी के युवती को नारी निकेतन भेज दिया। फैसल खान ने इसके खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। याचिका की सुनवाई के दौरान युवती ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से उपस्थित होकर युवक के साथ रहने की बात कही थी।

हाईकोर्ट के निर्देश पर याचिकाकर्ता ने शिक्षा,आय तथा धर्म के संबंध में हलफनामा पेश किया था। हलफनामे में कहा गया था कि दोनों अपने धर्म को मानने स्वतंत्र हैं और वह स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करेंगे।

By admin