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भाजपा से निकाले गए हरक सिंह रावत की कांग्रेस में वापसी की अटकलों के बीच उनके कार्यकाल को लेकर चल रही आ रही एक परंपरा फिर पुख्ता हो गई। यह परंपरा है, हरक के चार सरकारों में मंत्री बनने के बावजूद कभी कार्यकाल पूरा न कर पाने की।

राज्य में 2002 के चुनाव में पहली सरकार कांग्रेस की बनी। इसमें मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने हरक को राजस्व, खाद्य और आपदा प्रबंधन जैसे मंत्रालयों में कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी दी। मंत्री बनने के करीब डेढ़ साल बाद ही एक महिला ने उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया, जिसके बाद उन्हें मंत्री पद त्यागना पड़ा।

2012 में कांग्रेस की सरकार आई और विजय बहुगुणा मुख्यमंत्री बने। इस सरकार में हरक को कृषि, चिकित्सा शिक्षा और सैनिक कल्याण विभागों के साथ कैबिनेट मंत्री बनाया गया। विजय बहुगुणा को कांग्रेस ने हटाकर हरीश रावत को मुख्यमंत्री बना दिया।

भाजपा से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाले हरक ने मनमुटाव होने के बाद 1996 में भाजपा छोड़ दी। उन्होंने बसपा का दामन थामा। बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दीं।

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