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पिछले अगस्त में काबुल को अपने कब्जे में लेने के बाद से तालिबान लगातार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना अलगाव खत्म करने की कोशिशों में जुटा रहा है।

 अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंधों के कारण अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था जर्जर हो गई है। इसके बीच तालिबान की पाकिस्तान और आर्थिक चीन से मदद मिलने की उम्मीद भी पूरी नहीं हुई है।
खाद्य सामग्री, दवा, कोविड-19 वैक्सीन और अन्य सहायता देने का एलान किया था। लेकिन तालिबान नेतृत्व वाली सरकार के शरणार्थी मंत्रालय के मुताबिक चीन ने अब तक आधी सहायता ही भेजी है।पाकिस्तान ने दो करोड़ 80 लाख डॉलर की सहायता देने का वादा किया है, लेकिन वह मदद भी अभी अफगान जनता तक नहीं पहुंची है। ‘अफगानिस्तान इस्लामी अमीरात’ सरकार के सूचना मंत्रालय के प्रवक्ता बिलाल करीमी ने हाल में चीन के साथ तालिबान के रिश्ते को ‘रहस्यमय’ बताया।

विश्लेषकों का कहना है कि अफगानिस्तान चीन के लिए एक कड़ा इम्तिहान बन गया है। अफगानिस्तान और चीन की सीमा आपस में मिलती है। इसलिए अफगानिस्तान में बनने वाली हालत से चीन का अपना हित भी जुड़ा है।

By admin

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