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जब माहौल में भय और आशंका व्याप्त हो, हर तरफ बीमारी की चर्चा हो और दिन-रात घर में ही रहने को विवश होना पड़े, तो मन में तनाव पैदा होना बहुत स्वाभाविक है। मन को शांत और तनावमुक्त रखने में योग, ध्यान और प्राणायाम के महत्व को विज्ञान जगत भी स्वीकार करता है।

शीतकारी प्राणायाम – नाक से एक गहरी सांस अंदर लें और फिर मुंह से हिस्स की आवाज़ करते हुए सांस बाहर निकालें। सांस अंदर लेने से ज्यादा वक्त सांस बाहर निकालने का होना चाहिए। लंबी सांस फेफड़ों से शरीर के दूसरे अंगों तक का फ्लो बढ़ाती है जिससे एनर्जी बूस्ट होती है।

चंद्रभेदी प्राणायाम-
पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। कमर, गर्दन, रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। बाएं हाथ को बाएं घुटने पर ज्ञान मुद्रा में रखें। दाएं हाथ के अंगूठे से नासिका का दायां छेद दबाकर बंद करें। अब नासिका के बाएं छेद से श्वास बाहर करें और अपनी क्षमतानुसार श्वास रोकें। अब दाएं हाथ से नाक के बाएं छिद्र को बंद करें और दाएं नासिका छिद्र से श्वास निकालें।

शिअत्सू थेरेपी-
शिअत्सू जापानी शब्द है। शिका यानी उंगली और अत्सू मतलब दबाव। इस थेरेपी में ऊर्जा के उसी चैनल का प्रयोग होता है, जिसे मेरेडियन कहते हैं। तनाव दूर करने के लिए पहले पद्मासन या सुखासन में बैठें और फिर दाएं हाथ के अंगूठे से बायीं हथेली के बिलकुल बीच वाले पॉइंट को पांच से दस सेकंड तक दबाएं।

By admin

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