ढाका। वेश्यावृत्ति आज समाज का एक घिनौना सच बन चूका है। कुछ लोग तो इस काम को अपनी मर्जी से करते हैं लेकिन बहुत सारी महिलाओं खासकर छोटी बच्चियों को जबरन इस नर्क में धकेला भी जाता है। जिस उम्र में बच्चियों को खेलना कूदना चाहिए, उस उम्र में कुछ घटिया तरह के लोग उन्हें अपनी हवस का शिकार बनाकर वेश्यावृत्ति के धंधे में ले आते हैं।
वेश्यावृत्ति की यह कहानी ले आएगी आपकी आँखों में आंसू
आपको यह जानकार हैरानी होगी और शायद गुस्सा भी आये क्योकि महज 12-14 साल की छोटी उम्र की लड़कियां को हर रोज 15- 20 ग्राहकों का शिकार बनना पड़ता है। हर दिन अपने बचपन को भूलकर इन लड़कियों को अपने ग्राहकों को खुश करना होता है।
वेश्यावृत्ति से जूझ रही इन नाबालिक लड़कियों की कहानियां जानकार और फोटो देखकर आपकी रूह काप जाएगी। आप सोचने पर मजबूर हो जाओगे। इन बच्चियों के ग्राहक हर उम्र के होते हैं। कोई पिता की उम्र का, तो कोई दादा की उम्र का, पर इनका तो बस एक ही काम होता है अपने ग्राहकों को खुश करना।
हम आपके लिए यह कहानी और फोटोज बांग्लादेश के तंगेल जिले के कांडापारा वेश्यालय से लेकर आये हैं । जहां ये लड़कियां सिर्फ अपना पेट भरने के लिए हर दिन पता नहीं कितने लोगों के साथ हम बिस्तर होती हैं।
इसी काम से इनका पेट भरता है और इनकी ज़िन्दगी चलती है अगर ये लड़कियां ग्राहकों के साथ हमबिस्तर न हों तो इनको तीन वक़्त का खाना भी नसीब नहीं होता।
यहां जब कोई जब कोई मासूम वेश्यावृत्ति के धंधे में आती है, तो सबसे पहले उसके बचपन को कुचल दिया जाता है और फिर भेड़ियों के सामने उसके जिस्म को फेंक दिया जाता है। हर दिन हर रात उन्हें अपने अस्तित्व को खुरच-खुरचकर मिटाते हुए काटना पड़ता है।
इसके बदले इन लड़कियों को 10 से 12 डॉलर्स मिलते है हालाकिं ये पैसे भी उनके पास नहीं आते, बल्कि जिस अधेड़ महिला के अंडर में वे रहती हैं, उनके पास जाते हैं।
इन बच्चियों को तो बस पेट भरने को कुछ रोटियां मिल जाती हैं। कभी-कभी ये अधेड़ महिलाएं इन बच्चियों को तोहफ़े भी दे देती हैं, लेकिन इन तोहफ़ों में ‘लाश’ बन चुकी इन मासूमों को कोई दिलचस्पी नहीं रहती।
इतनी मुसीबतों के बीच इन बच्चियों को सुरक्षा के नाम पर वेश्यालय के बाहर तैनात लड़कों को भी खुश करना पड़ता है। ये लड़के इन बच्चियों से पैसे भी लेते है और इनका जिस्म भी नोचते हैं। इन्हें यहां ‘बाबू’ कहा जाता है।