पोर्नोग्राफी महिलावादी सोच बढ़ाती है ! यह बात मै नहीं कह रहा हूं। यह तथ्य लम्बे अध्ययन के बाद उभरकर सामने आया है। लोग अक्सर पोर्न देखने के लिए पागलपन की हद तक चले जाते हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या पोर्नोग्राफी महिलाओं की गरिमा गिराती है। जवाब है कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के एक नये अध्ययन में सामने आया है कि जो लोग (वैध, सहमति से, मनुष्यों के बीच, बालिगों के बीच सम्बन्ध) पोर्न देखते हैं वह महिलाओं के प्रति समानता का व्यवहार अधिक करते हैं। वह महिलावादी कहलाया जाना भी पसन्द करते हैं बजाय उनके जो पोर्न नहीं देखते। यह खुलासा डेली मेल ने एक रिपोर्ट में किया है।
पोर्नोग्राफी महिलावादी, जेंडर समानता लाने में सहायक
पोर्नोग्राफी महिलावादी कैसे। इस रिसर्च में 1975 से लेकर 2010 के बीच कुल 24 हजार लोगों का रैंडम सर्वे किया गया। इसमें रोचक तथ्य उभरकर आए कि जो पोर्न देखते थे और जो नहीं देखते थे। महिलाओं की शक्ति और अबार्शन के बारे में उनके विचार बिल्कुल अलग थे। जो पोर्नोग्राफी देखते थे उनका व्यवहार अधिक सकारात्मक था।
पोर्नोग्राफी महिलावादी निकली। और उन महिलाओं में भी पुरुषों के प्रति सकारात्मकता पायी गयी जो पोर्न देखती थीं वह न देखने वालों के मुकाबले अधिक सकारात्मक सोच रखती थीं। निष्कर्ष में पोर्नोग्राफी जेन्डर इक्वालिटी में मददगार साबित हुई।
संस्कारी भारत की बात करें तो शायद हमारी विकास दर बहुत ज्यादा न हो लेकिन पोर्न देखने के मामले में 2015 में भारत विश्व में तीसरे नम्बर रहा है। कारण यह था कि सनी लिओनी कनाडा से आयी थीं इसलिए यहां के लोग कनाडा में पोर्न साइट्स देखने और ढ़ूढने में जुट गये। और यह तब हुआ जब भारत सरकार पोर्न को प्रतिबंधित कर रही थी। जिसे बाद में पीछे हटना पड़ा। तब भी करीब 15 लाख भारतीयों ने बालिग वेब साइटों को निशाना बनाया। अब सच क्या है हमारी सोच क्या है यह बात अलग है। हम अपने यहां पोर्न साइटों को देखने वालों के प्रति क्या धारणा रखते हैं यह भी अलग है लेकिन यह अध्ययन महिला पुरूष समानता लाने में पोर्नोग्राफी को महत्वपूर्ण मानता है।